आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बल्कि"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "बल्कि"
गूजरी सूफ़ी काव्य
अंदर नहीं, बाहर नहीं, बल्कि पिया हर चीज़ है
अंदर नहीं बाहर नहीं बल्कि पिया हर चीज़ हैया बास जियूँ संदल मनें या जल्वा-ए-रुख़्सार ख़ुश
पीर सय्यद मोहम्मद अक़दस
गूजरी सूफ़ी काव्य
जुलेख़ा का क्रोध
चन्दर सुरज के मानिन्द थे झलकते,बल्कि चन्द सूर-सीं रौशन वे लगते।
अमीन गुजराती
समस्त
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "बल्कि"
सूफ़ी लेख
सूफ़ी क़व्वाली में गागर
उ’र्स की रस्म ये मुद्दत से चली आती हैआ’रज़ी ये नहीं बल्कि है दवामी गागर
उमैर हुसामी
ना'त-ओ-मनक़बत
इन के सदक़े आज यौम बारहवें मुम्ताज़ हैबल्कि ये तारीख़ का इक नुक़्ता-ए-आग़ाज़ है