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राग आधारित पद
राग वसंत- आतम पूजा अधिकी जान
इन्द्रिय मन बुद्धि तहां लगावकरि ‘सहजो’ बाई याको चाव
सहजो बाई
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राग आधारित पद
राज जैजैवंती- मेरे एक श्री-गोपाल और नहीं कोई माई
गतमत सब त्याग दई'सहजो' बाई नाहीँ रही
सहजो बाई
राग आधारित पद
राग कान्हरा- शट तज नाव जगत सँग राचो
नरक अग्नि की सहिली आंचोचरणदास कहै 'सहजो' बाई
सहजो बाई
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
बाई खुसालां कूं समझावो भेवजी।।1।। बाई खुसालां ऊपर होहु क्रपालजी।