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शे'र
ख़ुदा से डर ज़रा 'कौसर' कि तू तो खोए बैठा हैसरापा दीन-ओ-ईमान इक बुत-ए-काफ़िर की चाहत में
कौसर ख़ैराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
सब लुटा बैठा हूँ ख़्वाजा मैं तुम्हारे नाम परऔर जो बाक़ी था वो फिर कर दिया नज़राना आज
ख़्वाजा नाज़िर निज़ामी
ग़ज़ल
वो मन में संख के बैठा है मंदिर में निहाँ हो करमुसलमानों की मस्जिद से निकलता है अज़ाँ हो कर
असग़र निज़ामी
गीत
मुमताज़ गंगोही
कविता
अन्योक्ति पंचक- बगला बैठा ध्यान में प्रातः जलके तीर
बगला बैठा ध्यान में प्रातः जलके तीरमानो तपसी तप करे मलकर भस्म शरीर।
सय्यद अमीर अली मीर
पद
नामा नहीं माने बात बम्मन बैठा दिन रात
नामा नहीं माने बात बम्मन बैठा दिन रातहुकुम दिया दिनानाथ तब संग चल दिया
गोंदा महाराज
पद
दिल-जमई कर क्या बैठा है सुना नहीं तूने ये सौत
दिल-जमई कर क्या बैठा है सुना नहीं तूने ये सौतआया है क़ुरआन के अंदर सब दम को है ज़ायक़-ए-मौत
कवि दिलदार
पद
क्यूँ बैठा है ऐसा भोला क्या आरा घर तेरा है
क्यूँ बैठा है ऐसा भोला क्या आरा घर तेरा हैक्या कुछ तेरी अक़्ल गई है या किस ही ने मत फेरा है
कवि दिलदार
सूफ़ी लेख
बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
फ़क़ीर वो है जो दुनिया को छोड़ बैठा हैख़ुदा की याद में मुँह सब से मोड़ बैठा है
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
पूज्यो क्यों न पहारा।नामदेव दरवाज़े बैठा