आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "रह-ए-उल्फ़त"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "रह-ए-उल्फ़त"
अन्य परिणाम "रह-ए-उल्फ़त"
सूफ़ी कहानी
तपते बयाबान में एक शैख़ का नमाज़ पढ़ना और अहल-ए-कारवाँ का हैरान रह जाना- दफ़्तर-ए-दोउम
एक चटयल मैदान में एक ज़ाहिद ख़ुदा की इ’बादत में मसरूफ़ था। मुख़्तलिफ़ शहरों से हाजियों
रूमी
ना'त-ओ-मनक़बत
हर मुसाफ़िर से मैं ख़ाक-ए-रह-ए-तैबा माँगूँख़ुश्क सहरा हूँ मगर इ’श्रत-ए-दरिया माँगूँ
रईस वारसी
कलाम
हँस दिया मैं रह-ए-उल्फ़त की बला-ख़ेज़ी पर'अक़्ल-ए-’अय्यार ने की फ़ल्सफ़ा-साज़ी क्या क्या
सूफ़ी तबस्सुम
ना'त-ओ-मनक़बत
रह-गुज़ार-ए-'इश्क़ की हर-गाम थी हालत 'अजीबऔर मुसाफ़िर के मुसलसल शौक़ की हिम्मत 'अजीब
डॉ. मंसूर फ़रिदी
फ़ारसी कलाम
दिला ख़ाक-ए-रह-ए-कू-ए-मोहम्मद शौ मोहम्मद शौज़े-हर-सूए बिया सू-ए-मोहम्मद शौ मोहम्मद शौ