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सूफ़ी कहावत
सब्र तल्ख़ अस्त-ओ-लेकिन बर-ए-शीरीन दारद
धैर्य कड़वा होता है, लेकिन इसका फल मीठा होता है।
वाचिक परंपरा
ना'त-ओ-मनक़बत
ख़ुदा का शुक्र है यारो करम हुसैन का हैजो सुर्ख़़रु मेरी दुनिया है दम-ए-हुसैन का है
फ़राज़ वारसी
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ना'त-ओ-मनक़बत
ख़्वाजा-ए-सब्र-ओ-रज़ा मख़्दूम-ए-कुल मख़्दूमियाँया 'अली अहमद 'अलाउद्दीन नूर-ए-चिश्तियाँ
हैरत शाह वारसी
ग़ज़ल
तिरी दुनिया में सब्र-ओ-शुक्र से हम ने बसर कर लीतिरी दुनिया से बढ़ कर भी तिरे दोज़ख़ में क्या होगा
हरी चंद अख़्तर
कलाम
तिरी दुनिया में सब्र-ओ-शुक्र से हम ने बसर कर लीतिरी दुनिया से बढ़ कर भी तिरे दोज़ख़ में क्या होगा
हरी चंद अख़्तर
ना'त-ओ-मनक़बत
हज़ार शुक्र कि मैं हूँ ग़ुलाम तौंसा कामुझे दे पीर-ए-मुग़ाँ भर के जाम तौंसा का
हाफ़िज़ हबीब अ'ली शाह
शे'र
ख़्वाब है न बेदारी शुक्र है न होशियारीलुत्फ़-ए-लज़्ज़त-ए-कैफ़-ए-बे-ख़ुमार मुझ से पूछ
निसार अकबराबादी
नज़्म
।। लोभ ।।
ले सब्र क़नाअ'त साथ मियाँ सब छोड़ ये बातें लोभ भरी।जो लोभ करे उस लोभी की नहीं खेती होती जान हरी।
नज़ीर अकबराबादी
शे'र
ख़ुदा का शुक्र है प्यासे को दरिया याद करता हैमुसाफ़िर ने फ़राहम कर लिया है कूच का सामाँ