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कवित्त
भक्तोद्गार- सुनो दिल जानी मेरे दिल की कहानी
स्यामला सलोना सिर ताज सिर कुल्ले दियेतेरे नेह दाग में निदाग हो दहूँगी मैं
ताज जी
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
जासे मेरी जगत में पत। ऐ सखी साजन ना सखी नथ।।(217) सरब सलोना सब गुन नीका। वा बिन सब जग लागै फीका।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
जासे मेरी जगत में पत। ऐ सखी साजन ना सखी नथ।। (217) सरब सलोना सब गुन नीका। वा बिन सब जग लागै फीका।।