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पद
सावन - सँसार सागर बढ़यो सावन, अगम अकथ अपार रे ।
सँसार सागर बढ़यो सावन, अगम अकथ अपार रे ।नाव जीरण बोझ भारी, नाहिँ वारा पार रे ।।
तुलसीदास (ब्रजवासी)
पद
सुख सागर में आय के मत जा रे प्यासा
सुख सागर में आय के मत जा रे प्यासाअजहुँ समझ नर बाबरे जम करत निरासा
कबीर
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सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
वास्तस्यायन सूत्र की जय मंडल टीका सूर सागर रसिक चिमनबिहारी सतसई परमानन्द सागर 84 वैष्णवों की वार्ता
भारतीय साहित्य पत्रिका
पद
चित लागो रमता राम सूँ, मन बिरच्यो विषया वाम सूँ।।
जन कल्याणदास सुख पाया, सुख सागर मांहि समाया।।
महात्मा कल्याणदास जी
पद
गिरधर गदाधर चक्रधर गोपाल माधव गस्ड़पति गरुढ़गामी मुकुंद माखन हारी तीया।।
संसार सागर भनत गोपाल नाम कृपा शिख तीया।।
गोपाल नायक
चौपाई
गुरु महिमा का अंग- गुरु बिन ज्ञान ध्यान नहिं होवै ।
करुना-सागर कृपा-निधाना ।गुरु हैं ब्रह्म रूप भगवाना ।।
दया बाई
सूफ़ी लेख
सन्तों की प्रेम-साधना- डा. त्रिलोकी नारायण दीक्षित, एम. ए., एल-एल. बी., पीएच. डी.
आछे तोरइ भितर अतल सागर तार पाइलि ना मरम
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
जब मन मिल्यौ राम सागर सों।तब यह मिटी पुकारा।।