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शे'र
हाल-ए-दिल है कोई ख़्वाब-आवर फ़साना तो नहींनींद अभी से तुम को ऐ यारान-ए-महफ़िल आ गई
हफ़ीज़ होश्यारपुरी
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शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
ग़ज़ल
मिरा हाल-ए-दिल न पूछो मिरा हाल-ए-दिल ही क्या हैकि मैं साँस ले रहा हूँ शब-ए-ग़म सँभल-सँभल कर
अज़ीज़ वारसी देहलवी
ग़ज़ल
रहने दो चुप मुझे न सुनो माजरा-ए-दिलमैं हाल-ए-दिल कहूँ तो अभी मुँह को आए दिल
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम
तीर-ए-नज़र वो दिल पे खाए मन का हाल न पूछो हायनस नस में इक आग लगी है प्रेम की अग्नी कौन बुझाए
अब्दुल हादी काविश
बैत
न-बख़्शीद बर हाल-ए-परवानः शम'अ
न-बख़्शीद बर हाल-ए-परवानः शम'अनिगह कुन कि चूँ सोख़्त दर पेश-ए-जम'अ