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सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत मख़दूम अहमद चर्म-पोश
मख़दूम अहमद चर्म-पोश बिहार शरीफ़ की शान और गरिमा, भारत के इतिहास का एक सुनहरा अध्याय
रय्यान अबुलउलाई
ग़ज़ल
दलील-ए-सुब्ह रौशन है सियह शाम-ए-अलम साक़ीख़ुदा का बा'द हर मुश्किल के होता है करम साक़ी
वासीफ़ आलम मुआज्ज़मी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
तुर्क-ए-सफ़ेद-रूए- व सियह-चश्म-ओ-लालः-रंगमिस्लत नज़ाद मादर-ए-अय्याम शोख़-ओ-शंग
अमीर ख़ुसरौ
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ग़ज़ल
जल्वः-आरा कौन बे-पर्दः ये पर्दः-पोश हैज़र्रः ज़र्रः बज़्म-ए-हस्ती का जो अब मदहोश है
हैरत शाह वारसी
सूफ़ी लेख
हज़रत ग़ौस ग्वालियरी और योग पर उनकी किताब "बह्र-उल-हयात"
हज़रत ग़ौस ग्वालियरी शत्तारिया सिलसिले के महान सूफ़ी संत थे. शत्तारी सिलसिला आप के समय बड़ा
सुमन मिश्रा
ग़ज़ल
देख कर ज़ुल्फ़-ए-सियह मफ़्तून-ओ-शैदा हो गयाऐ दिल-ए-दीवाना क्या तुझ को ये सौदा हो गया
शाह तुराब अली क़लंदर
दोहा
रहिमन थोरे दिनन को कौन करे मुँह सियाह
रहिमन थोरे दिनन को कौन करे मुँह सियाहनहीं छलन को परतिया नहीं करन को ब्याह
रहीम
बैत
सुर्मः जो ज़ेब-ए-चश्म-ए-सियह फ़ाम हो गया
सुर्मः जो ज़ेब-ए-चश्म-ए-सियह फ़ाम हो गयाफ़ित्नः-सवार-ए-अबलक़-ए-अय्याम हो गया
निसार अकबराबादी
कलाम
बहर-जल्वा न रुस्वा कर मज़ाक़-ए-चश्म-ए-हैराँ कोयही बातें निगाहों से गिरा देती हैं इंसाँ को
सीमाब अकबराबादी
शे'र
ख़ुदा को याद कर क्यों मुल्तजी है कीमिया-गर सेकि सोना ख़ाक से होता है पैदा ला’ल पत्थर से