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पद
मुरली बजत अखंड सदाये तहाँ प्रेम झनकारा है
मुरली बजत अखंड सदाये तहाँ प्रेम झनकारा हैप्रेम-हई तजी जब भाई सत्त लोक की हद पुनी आई
कबीर
शबद
उपदेश - धुनि बजत गगन महँ बीना
धुनि बजत गगन महँ बीना जहँ आपु रास रस भीनाधुनि बजत गगन महँ बीना जहँ आपु रास रस भीना
भीखा साहेब
कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम
कधी मोहतिया मोह न आवे 'औघट' कौने काजकुबरी ऐसी प्रीत करो कि मिलें कृष्ण-महराज
औघट शाह वारसी
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शबद
नाम महिमा - बाजत नाम नौबति आजु
सुख कंंद अनहद नाद धुनि सुनि दुख दुरित क्रम भ्रम भाजुसत लोक बरसो पानि धुनि निर्बान यहि मन बाजु
दूलनदास जी
काफी
मित्तर प्यारे कारन नी मैं लोक उल्हानें लैनी हाँ
मित्तर प्यारे कारन नी मैं लोक उल्हानें लैनी हाँ'बुल्ल्हे' शाह घर रांझन आवे मैं तत्ती नूँ लै गल लावे
बुल्ले शाह
कवित्त
नेत्रोपालम्भ - छूट्यौ गृह काज लोक लाज मन मोहिनी को
छूट्यौ गृह काज लोक लाज मन मोहिनी कोभूल्यौ मन मोहन को मुरली बजाइबौ
रसखान
राग आधारित पद
ग्राम - स्वर्ग लोक में ग्राम जो प्रगट भये हैं तीन
स्वर्ग लोक में ग्राम जो प्रगट भये हैं तीनद्वै तेहि उतरे अवनि में एक सुर राख्यौ बीन
तानसेन
दोहा
विनय मलिका - तीन लोक में हे प्रभू तुम हीं करो सो होय
तीन लोक में हे प्रभू तुम हीं करो सो होयसुर नर मुनि गंधर्ब जे मेटि सकैं नहिं कोय
दया बाई
शबद
आरती व भोग - मन बच क्रम मोरे राम कि सेवा सकल लोक देवन को देव
मन बच क्रम मोरे राम कि सेवा सकल लोक देवन को देवाबिनु जल जल भरि भरि नहवावों बिना धूप के धूप धुपावों
धरनीदास जी
दोहा
लोक जू काजर की लगी अंग लगे उर लाल
लोक जू काजर की लगी अंग लगे उर लालआज उनीदे आइए जागे कहाँ 'जमाल'
जमाल
सलोक
फ़रीदा सायया सिका वेख कै लोक जाने दरवेस
फ़रीदा सायया सिका वेख कै लोक जाने दरवेसअंदर भरिया मांसुली बहारी कूड़ा वेस
बाबा फ़रीद
साखी
प्रेम का अंग - ये तत्त वो तत्त एक है एक प्रान दुइ गात
ये तत्त वो तत्त एक है एक प्रान दुइ गातअपने जय से जानिये मेरे जिय की बात
कबीर
पद
संसकिरत भाषा पढ़ि लीन्हा ज्ञानी लोक कहो रही
संसकिरत भाषा पढ़ि लीन्हा ज्ञानी लोक कहो रहीआसा-तृस्ना में बहि गयो सजनी काम के ताप सहो रही
कबीर
दोहा
बैराग का अंग - तीन लोक नौ खंड के लिए जीव सब हेर
तीन लोक नौ खंड के लिए जीव सब हेर'दया' काल प्रचण्ड है मारै सब कूँ घेर