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दोहा
विनय मलिका - सकल मेघ लै इन्द्र जब ब्रज पै बरसो आय
सकल मेघ लै इन्द्र जब ब्रज पै बरसो आयगोबरधन नख पै धरो सब ब्रज लियो बचाय
दया बाई
सवैया
मुरली प्रभाव - ब्रज की बनिता सब घेरि कहैं तेरो ढारो विगारो कहा कस री
'रसखानि' भली विधि आनि बनी बसिबो नही देत दिसा दस रीहम तो ब्रज बसिबोई तजौ बस री ब्रज बेरिन तू बस री
रसखान
राग आधारित पद
राग धनाश्री - ब्रज की कही कहा कहु बाते
ब्रज की कही कहा कहु बातेगिरितनयापति भूषण जैसे विरह जरी दिनराते
सूरदास
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सवैया
चीर हरण - एक समै जमुना-जल मैं सब मज्जन हेत धसी ब्रज-गोरी
एक समै जमुना-जल मैं सब मज्जन हेत धसी ब्रज-गोरीत्यौ 'रसखानि' गयौ मन-मोहन लै कर चीर कदंब की छोरी
रसखान
सवैया
कालिय दमन - लोग कहैं ब्रज के 'रसखानि' अनदित नंद जसोमति जू पर
लोग कहैं ब्रज के 'रसखानि' अनदित नंद जसोमति जू परछोहरा आजु नयो जनम्यौ तुम सो कोऊ भाग भरयौ नहिं भू पर
रसखान
राग आधारित पद
श्रीराग ताल धीमा तिताला - मुरली की धुन सुन चकित भई सब ब्रज की नारी
मुरली की धुन सुन चकित भई सब ब्रज की नारीसुधि न रही कछु आपन तन-मन-घर की
तानसेन
कृष्ण भक्ति संत काव्य
एरी अब आनंद भयो री ब्रज में श्रीकृष्ण जनम लियो आजशुभ घरी शुभ दिन महूरत प्रगट भये ब्रजराज
बैजू बावरा
कलाम
ब्रिज नारायण चकबस्त
शे'र
ब-रोज़-ए-हश्र हाकिम क़ादिर-ए-मुतलक़ ख़ुदा होगाफ़रिश्तों के लिखे और शैख़ की बातों से क्या होगा
हरी चंद अख़्तर
राग आधारित पद
का करूँ मोरी गुइयाँ बिरज में फाग मचो री
का करूँ मोरी गुइयाँ बिरज में फाग मचो रीकोऊ अबीर मलत मुख मां रे कोऊ मारत पिचकारी
ख़लील सफ़िपुरी
राग आधारित पद
बृज का है यही स्वभाव मोहन मोरे नाचन लागे रे
बृज का है यही स्वभाव मोहन मोरे नाचन लागे रेनाच नाच के हैं भाव बतावत