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दोहा
इंद्रियों का बर्णन - इन्द्री मन के बस करै मन करै बुधि के संग
इन्द्री मन के बस करै मन करै बुधि के संगबुधि राखै हरि पद जहाँ लागै ध्यान अभंग
चरनदास जी
राग आधारित पद
राग बिहागरा - सुधि बुधि सब गइ खोय री मैं इस्क दिवानी
सुधि बुधि सब गइ खोय री मैं इस्क दिवानीतलफत हूँ दिन रैन ज्यों मछली बिन पानी
चरनदास जी
साखी
प्रेम का अंग - जहाँ प्रेम तहँ नेम नहि तहाँ न बुधि ब्यौहार
जहाँ प्रेम तहँ नेम नहि तहाँ न बुधि ब्यौहारप्रेम मगन जब मन भया तब कौन गिनै तिथि बार
कबीर
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पद
सावन - बीज कड़क कस कस करूँ सुधि बुधि रहत न हाथ
बीज कड़क कस कस करूँ सुधि बुधि रहत न हाथसाथ मिलै पिया पंथ को मारग चलौं दिन रात
तुलसी साहिब हाथरस वाले
दोहा
बूढ़ी मूरत पीर कहावे मेरा पीर जवान
बूढ़ी मूरत पीर कहावे मेरा पीर जवान'औघट' अपने पीर की सूरत को पहचान
औघट शाह वारसी
सलोक
बुढा थिया सेख फ़रीदा कम्बन लगे टाल
बुढा थिया सेख फ़रीदा कम्बन लगे टालटिंडड़ियां जल लाणियां तुरन लग्गी माल्ह
बाबा फ़रीद
दोहा
रहिमन ब्याह बिआधि है सकहु तो जाहु बचाय
रहिमन ब्याह बिआधि है, सकहु तो जाहु बचायपायन बेड़ी पड़त है ढोल बजाय बजाय
रहीम
दोहा
गुरु महिमा का अंग - बंदो श्री सुकदेव जी सब बिधि करो सहाय
बंदो श्री सुकदेव जी सब बिधि करो सहायहरो सकल जग आपदा प्रेम-सुधा रस प्याय
दया बाई
ग़ज़ल
बढ़ा है ज़ौक़-ए-सज्दा इक कशिश सी पाई जाती हैजबीं खींच कर तुम्हारे आस्ताँ तक आई जाती है
फ़ज़्ल नक़वी
दोहा
विनय मलिका - किस बिधि रीझत हौ प्रभू का कहि टेरूँ नाथ
किस बिधि रीझत हौ प्रभू का कहि टेरूँ नाथलहर मेहर जब हीं करो तब हीं होउँ सनाथ
दया बाई
दोहा
माँगे घटत रहीम पद कितौ करौ बढ़ि काम
माँगे घटत 'रहीम' पद कितौ करौ बढ़ि कामतीन पैग बसुधा करी तऊ बावनै नाम