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दोहा
घुंघटा ठाढ़ी नैन जल प्रेम सील मुख नाल
घुंघटा ठाढ़ी नैन जल प्रेम सील मुख नालहाँसी कपां लाइया फाँदे साहि 'जमाल'
जमाल
दोहा
मन मा राखूँ मन जरे कहूँ तो मुख जरि जाय
मन मा राखूँ मन जरे कहूँ तो मुख जरि जायगूँगे का सपना भयो समझ समझ पछताय
आसी गाज़ीपुरी
पद
मुख मुरली मोहन धारी
मुख मुरली मोहन धारीसुनत अवाज मोहि बस भये शचिपति विधि त्रिपुरारी
गुलाब राय महाराज
दोहा
सतगुरू - मुख सेती बोलन थका सुनै थका जो कान
मुख सेती बोलन थका सुनै थका जो कानपावन सूँ फिरवा थका सतगुरू मारा बान
चरनदास जी
दोहा
रहिमन धोखे भाव से मुख से निकसे राम
रहिमन धोखे भाव से मुख से निकसे रामपावत पूरन परम गति कामादिक को धाम
रहीम
दोहा
मुख ग्रीषम पावस नयन तन भीतर जड़काल
मुख ग्रीषम पावस नयन तन भीतर जड़कालपिय बिन तिय तीन ऋतु कबहुँ न मिटैं 'जमाल'
जमाल
दोहा
गोरी सोवै सेज पर मुख पर डारै केस
गोरी सोवै सेज पर मुख पर डारै केसचल 'ख़ुसरव' घर आपने रैन भई चहुँ देस
अमीर ख़ुसरौ
दोहा
जो कछु करै तो मन दुखी मेटैं गुरु मुख रीत
जो कछु करै तो मन दुखी मेटैं गुरु मुख रीतभेद वचन समझै नहीं चलै चाल विपरीत
सहजो बाई
दोहा
अपने घर का दुख भला पर घर का सुख छार
अपने घर का दुख भला पर घर का सुख छारऐसे जानै कुल बधऊ सो सतवंती नार
चरनदास जी
सवैया
मुस्कान माधुरी - वा मुख की मुसकानि भटू अँखियानि ते नेकु टरै नहिं टारी
वा मुख की मुसकानि भटू अँखियानि ते नेकु टरै नहिं टारीजौ पलकै पल लागति है पल ही पल माँझ पुकारै पुकारी