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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
मेहमान-ए-तु-अम ऐ जाँ ज़िन्हार म-ख़ुस्प इमशबऐ जान-ओ-दिल-ए-मेहमाँ ज़िन्हार म-ख़ुस्प इमशब
रूमी
फ़ारसी कलाम
ऐ ज़े-दर्द-ए-इ'श्क़-ए-तू बीमार-ए-जाँ दारम हनूज़दाश्तम मेहर-ए-तू दर दिल हम-चुनाँ दारम हनूज़
अहमद शाहजहाँपुरी
शे'र
बहार आने की आरज़ू क्या बहार ख़ुद है नज़र का धोकाअभी चमन जन्नत-नज़र है अभी चमन का पता नहीं है
अफ़क़र मोहानी
शे'र
बहार आने की आरज़ू क्या बहार ख़ुद है नज़र का धोकाअभी चमन जन्नत-नज़र है अभी चमन का पता नहीं है
अफ़क़र मोहानी
कलाम
बहार-ए-जाँ-फ़ज़ा तुम हो नसीम-ए-दास्ताँ तुम होबहार-ए-बाग़-ए-रिज़वाँ तुम से है जे़ब-ए-जिनाँ तुम हो
मुस्तफ़ा रज़ा ख़ान
फ़ारसी कलाम
ऐ ब-तू ज़िंद: जिस्म-ओ-जाँ मूनिस-ए-जान-ए-कीस्तीशेफ़्त-ए-तू इंस-ओ-जाँ ऊंस-ए-रवान-ए-कीस्ती
फ़ख़रुद्दीन इराक़ी
फ़ारसी कलाम
चूँ तू जान-ए-मनी ऐ जाँ चे कुनम जान-ए-जहाँ राचू मनम ज़िंद: ब-इ’श्क़त चे कशम मिन्नत-ए-जाँ रा