आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "kulliyat e bahri qazi mahmud behri ebooks"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "kulliyat e bahri qazi mahmud behri ebooks"
गूजरी सूफ़ी काव्य
उक़दा दर बिलावल
जाग प्यारी अब क्या सोवे,रैनी केनी त्यूं दिन क्या खोवे।
क़ाजी महमूद बहरी
गूजरी सूफ़ी काव्य
जा पूछो प्यू किस ठां
जा पूछो प्यू किस ठां,मैं प्यू मां प्यू मुझ मां।
क़ाजी महमूद बहरी
गूजरी सूफ़ी काव्य
उक़दा दर परदा अनारकली
आए न देखे मुझकूं तन लोहू न मासा,हूँ जूरूं तुझ कारने और रोय लेउं निसासा।
क़ाजी महमूद बहरी
अन्य परिणाम "kulliyat e bahri qazi mahmud behri ebooks"
सोरठा
'रहिमन' बहरी बाज गगन चढ़े फिर क्यूँ तिरै
'रहिमन' बहरी बाज गगन चढ़े फिर क्यूँ तिरैपेट अधम के काज फेरि आय बंधन परै
रहीम
दोहा
महमूद भूखाँ भोजन दीजें, तरसा दीजे पानी।
महमूद भूखाँ भोजन दीजें, तरसा दीजे पानी।ऊँचा सेंती नम नम चलिये, मोटम न मन में आनी।।
क़ाज़ी महमूद दरियाई
दोहा
सवार उठ लीजे अपने अल्लाह का नांव।
सवार उठ लीजे अपने अल्लाह का नांव।पाँचों वक्त नमाज़ गुज़ारों दायम पढ़ो कुरान।।
क़ाज़ी महमूद दरियाई
दोहा
खाओ हलाल बोलो मुख सांचा राखो दुरुस्त ईमान।
खाओ हलाल बोलो मुख सांचा राखो दुरुस्त ईमान।छोडो जंजाल झूठी सब माया जो मन होए ज्ञान।।
क़ाज़ी महमूद दरियाई
दोहा
कलमा शहादत तिल न बिसारो जिसथी छूटो निदान।
कलमा शहादत तिल न बिसारो जिसथी छूटो निदान।महमूद मुख थी तिल न बिसरे अपने अल्लाह का नाम।।
क़ाज़ी महमूद दरियाई
दोहा
मन में गरब तू मत करे, तुझ बैन कई लाख।
मन में गरब तू मत करे, तुझ बैन कई लाख।तेरा कहिया कौन सूने, महमूद कूं सो माख।।
क़ाज़ी महमूद दरियाई
गूजरी सूफ़ी काव्य
उक़्दा कलाम
अरी मेरी सहियाँ मैं डरे पाँत न खाऊँअरी मत उल्टे शीश टंगाऊँ