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ना'त-ओ-मनक़बत
माहिरुल क़ादरी
दोहा
अरूझि रीझ रीझै नहीं होतनि मोही लाल
अरूझि रीझ रीझै नहीं होतनि मोही लालपिय आवनकी आस सौं लालहि भई 'जमाल'
जमाल
कुंडलिया
जो साहेब का लाल है सो पावैगा लाल
जो साहेब का लाल है सो पावैगा लालसो पावैगा लाल जाइ के गोता मारै
पलटू साहेब
दोहा
जब तरणपो मुझ्झयो पाय परत नित लाल
जब तरणपो मुझ्झयो पाय परत नित लालकर ग्रह सीस नवावती जोबन गरब 'जमाल'
जमाल
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
साक़ी-ए-शक्कर-दहान-ओ-मुत्रिब-ए-शीरीं-सुख़नहम-नशीन-ए-नेक-किरदार-ओ-हरीफ़-ए-नेक-नाम
हाफ़िज़
दोहा
कर घूँघट जग मोहिये बहुत भुलाए लाल
कर घूँघट जग मोहिये बहुत भुलाए लालदरसन जिनैं दिखाइयाँ दरसन जोग 'जमाल'
जमाल
पद
मोहे प्यारे नंद-जी लाल गुपाल संतन पाल
मोहे प्यारे नंद-जी लाल गुपाल संतन पालशाम सुंदरा मान हँसी पतितन के किरपाल
अनंत महाराज
दोहा
एक सखी ऐसे कहियो वे आये घन लाल
एक सखी ऐसे कह्यो वे आये घन लालउझकि बाल झुकि कैं लखै अति दुख भयो 'जमाल'
जमाल
शबद
'लाल' जी साधु ऐसा चाहिए धान कमा कर खाय
'लाल' जी साधु ऐसा चाहिए धान कमा कर खायहृदय हर की चाकरी पर घर कबहूँ न जाय
लालदास
दोहा
प्रीत जो कीजै देह धर उत्तम कुल सुँ लाल
प्रीत जो कीजै देह धर उत्तम कुल सुँ लालचकमक जुग जल में रहै अगन न तजै 'जमाल'
जमाल
दोहा
सब घट माँही राम है ज्यौं गिरिसुत में लाल
सब घट माँही राम है ज्यौं गिरिसुत में लालज्ञान गुरु चकमक बिना प्रकट न होत 'जमाल'