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सूफ़ी कहावत
मर्द बायद की गीरद अंदर गोश، वर नविश्ता अस्त पंद बर दीवार
एक आदमी को सलाह सुननी चाहिए, चाहे वो दीवार पर लिखी हो।
वाचिक परंपरा
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
आँ सुख़न गुफ़्तन-ए-तू हस्त हुनूज़म दर गोशवाँ शकर-ख़ंदःए शीरीन-ए-तू अज़ चश्म:-ए-नोश
अमीर ख़ुसरौ
समस्त
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नज़्म
ऐसी ही इंतिज़ार में लज़्ज़त अगर न हो
ऐसी ही इंतिज़ार में लज़्ज़त अगर न होतो दो घड़ी फ़िराक़ में अपनी बसर न हो
रियाज़ ख़ैराबादी
सूफ़ी शब्दावली
कलाम
ऐ जान-ए-जहाँ कब तक ये गोशा-ए-तन्हाईसब दीद के तालिब हैं जितने हैं तमाशाई