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सूफ़ी उद्धरण
अपनी ज़रूरत से पहले दूसरों की ज़रूरत का ध्यान रखना, यही अहल-ए-करम का तरीक़ा है।
अपनी ज़रूरत से पहले दूसरों की ज़रूरत का ध्यान रखना, यही अहल-ए-करम का तरीक़ा है।
शैख़ अहमद सरहिन्दी
सूफ़ी उद्धरण
सेहत, फ़ुर्सत और वक़्त को एक क़ीमती मौक़ा समझो और हर वक़्त ख़ुदा के ज़िक्र में लगे रहो।
सेहत, फ़ुर्सत और वक़्त को एक क़ीमती मौक़ा समझो और हर वक़्त ख़ुदा के ज़िक्र में लगे रहो।
शैख़ अहमद सरहिन्दी
ना'त-ओ-मनक़बत
कितना दिलकश है हसीं है शैख़ मिस्री का मज़ारगोशा-ए-ख़ुल्द-ए-बरीं है शैख़ मिस्री का मज़ार
आरिफ़ अहमद जी
सूफ़ी उद्धरण
यह कितनी बड़ी ने'मत है कि ख़ुदा अपने बंदों को जवानी में ही तौबा की तौफ़ीक़ दे और उस पर उन्हें बने रहने का हौसला भी बख़्शे।
शैख़ अहमद सरहिन्दी
सूफ़ी उद्धरण
इंसान दो दुनियाओं का मेल है, एक है "आलम-ए-ख़ल्क़" जिस से उसका बाहरी रूप जुड़ा है और दूसरा है "आलम-ए-अम्र" जिस से उस की रूह जुड़ी है।
शैख़ अहमद सरहिन्दी
ना'त-ओ-मनक़बत
मुराद-ए-क़ल्ब हर मुरीद शैख़ सा'द शैख़ सा'दसुकून-ओ-राहत मज़ीद शैख़ सा'द शैख़ सा'द
शैख़ अबु सईद सफ़वी
ना'त-ओ-मनक़बत
नक़्श-ए-पा पाते ही 'अहमद' सरफ़राज़ी मिल गईबा-ख़ुदा मौला 'अली का नक़्श-ए-पा कुछ और है
 
 