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पद
प्रकीर्ण के पद - मोरे तो मन राम-चरण सुख-दाई
मोरे तो मन राम-चरण सुख-दाईजिन चरणन सों निकसी सुरसरि शंकर जटा समाई
मीराबाई
कुंडलिया
जो मैं हारौं राम की जो जीतों तौ राम
जो मैं हारौं राम की जो जीतों तौ रामजो जीतों तौ राम राम से तन मन लावौं
पलटू साहेब
कलाम
स्वामी रामतीर्थ
पद
सद्गुरू-महिमा के पद - में तो राम जी रतन धन लास्याँ ये माँ
तन मन धन माता अर्पण करस्याँ येमें तो महँगी महँगी वस्तू मोलास्याँ ये माँ
मीराबाई
साखी
प्रेम का अंग - प्रीति जो लागी घुलि गइ पैठि गई मन माहि
प्रीति जो लागी घुलि गइ पैठि गई मन माहिरोम रोम पिउ पिउ करै मुख की सिरधा नाहिं
कबीर
पद
प्रेमालाप के पद - भई रे मैं राम दिवानी रे
लोक लाज शोभा कुल तज के तन मन की सुध बिसरानी'मीराँ के प्रभू गिरिधर नागर आ मिल मोहे सारंग पानी
मीराबाई
पद
नाम-माहात्म्य के पद - राम रतन धन पायो मैया मैं ते राम रतन धन पायो
राम रतन धन पायो मैया मैं ता राम रतन धन पायोख़र्चे ना खूटे वाकूँ चोर न लूटे दिन दिन होत सवायो
मीराबाई
शबद
उपदेश का अंग - तैं राम राम भजु राम रे राम गरीब निवाज हो
तैं राम राम भजु राम रे राम गरीब निवाज होतैं राम राम भजु राम रे राम गरीब निवाज हो
दूलनदास जी
फ़ारसी कलाम
ऐ जान-ए-मन जानान-ए-मन बर मन निगर सुल्तान-ए-मनयक शब बिया मेहमान-ए-मन अज़ मन चरा रंजीद:ई
सादी शीराज़ी
शबद
राम नाम भजि लीजै भाई
तजि कर्म सकल भजु दृढ़ मत धरि मरिये भा जीजै मन लाईअगम पंथ को चलना है मन छाँड़ि दीजै अलसाई
भीखा साहेब
गूजरी सूफ़ी काव्य
उक़्दा दर-पर्द: रामकली
मन मेरी मन ये चावआँख-बचोला जिवड़ा आ हंस जावे बाट