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कलाम
ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इ’श्क़ सुन न जुनूँ रहा न परी रहीन तो तू रहा न तो मैं रहा जो रही सो बे-ख़बरी रही
सिराज औरंगाबादी
कलाम
राह फ़क़र दा परे परेरे, ओड़क कोई न दिस्से हून उथ पढ़न पढ़ावण कोई न उथ मसले क़िस्से हू
सुल्तान बाहू
ग़ज़ल
निगराँ कभू न ये जानिब रुख़ दिल-फ़रेब परी रहीमिरी चश्म ता-निगह बसीं तिरी महव जल्वागरी रही
रासिख़ अज़ीमाबादी
कलाम
मैं लज-पालाँ दे लड़लगियाँ मिरे तूँ ग़म परे रहंदेमिरी आसाँ उम्मीदाँ दे बूटे हरे रहंदे
अ'ब्दुल सत्तार नियाज़ी
सवैया
नेत्रोपालम्भ - मारग रोकि रहयौ 'रसखानि' के कान परी झंकार नई है
मारग रोकि रहयौ 'रसखानि' के कान परी झंकार नई हैलोग चितै चित दै चितए नख तै मन माहि निहाल भई है
रसखान
फ़ारसी कलाम
रुख़ ब-नुमा कि ऐ परी सुब्ह-ए-उम्मीद-ए-मन तुईबुर्क़ा' कुशा कि ऐ सनम जल्वः-ए-’ईद-ए-मन तुई
शफ़ी बिहारी
दोहा
माह मास लहि टेसुआ मीन परे थल और
माह मास लहि टेसुआ मीन परे थल औरत्यों 'रहीम' जग जानिये छुटे आपुने ठौर
रहीम
दोहा
परि कटारी विरह की टूट रही उर साल
परि कटारी विरह की टूट रही उर सालमूएँ पीछैं जो मिलौ जीयत मिलौ 'जमाल'
जमाल
दोहा
समय परे ओछे बचन सब के सहै 'रहीम'
समय परे ओछे बचन सब के सहै 'रहीम'सभा दुसासन पट गहे गदा लिए रहे भीम
रहीम
दोहा
रहिमन तीर की चोट ते चोट परे बचि जाय
रहिमन तीर की चोट ते चोट परे बचि जायनैन बान की चोट ते चोट परे मरि जाय
रहीम
दोहा
रहिमन दुरदिन के परे बड़ेन किए घटि काज
रहिमन दुरदिन के परे बड़ेन किए घटि काजपाँच रूप पांडव भए रथवाहक नलराज
रहीम
दोहा
रहिमन जा डर निसि परै ता दिन डर सिर कोय
रहिमन जा डर निसि परै ता दिन डर सिर कोयपल पल करके लागते देखु कहाँ धौं होय