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शबद
उपदेश का अंग - तैं राम राम भजु राम रे राम गरीब निवाज हो
तैं राम राम भजु राम रे राम गरीब निवाज होतैं राम राम भजु राम रे राम गरीब निवाज हो
दूलनदास जी
कलाम
स्वामी रामतीर्थ
राग आधारित पद
राम यमन- ज्यों त्यों राम नाम ही तारै
ज्यों त्यों राम नाम ही तारैजान अजान अग्नि जो छूवै
सहजो बाई
दोहा
'औघट' बाजें राम के बाजन सुन लो सीस झुकाय
'औघट' बाजें राम के बाजन सुन लो सीस झुकायआसन मारो सबद को साधू मन से ध्यान लगाय
औघट शाह वारसी
दोहा
उपदेश का अंग - राम नाम दुइ अच्छरै रटै निरंतर कोय
राम नाम दुइ अच्छरै, रटै निरंतर कोय'दूलन' दीपक बरि उठै मन प्रतीति जो होय
दूलनदास जी
कलाम
अहमद रज़ा ख़ान
अरिल्ल
अरिल छंद - राम भजहु लब लाइ प्रेम पद पाइया
राम भजहु लब लाइ प्रेम पद पाइयासफल मनोरथ होय सत्त गुन गाइया
गुलाल साहब
पद
नाम-माहात्म्य के पद - मेरो मन राम हि राम रटे रे
मेरो मन राम हि राम रटे रेराम नाम जप लीजे प्राणी कोटिक पाप कटै रे
मीराबाई
काफी
आए मस्त देहाड़े सावन दे
चाँदनी रात मल्हारी डौंह हैठड्डड़ियाँ हीलाँ रिम-झिम मींह है
ख़्वाजा ग़ुलाम फ़रीद
कुंडलिया
जो मैं हारौं राम की जो जीतों तौ राम
जो मैं हारौं राम की जो जीतों तौ रामजो जीतों तौ राम राम से तन मन लावौं
पलटू साहेब
पद
नाम-माहात्म्य के पद - राम रतन धन पायो मैया मैं ते राम रतन धन पायो
राम रतन धन पायो मैया मैं ता राम रतन धन पायोख़र्चे ना खूटे वाकूँ चोर न लूटे दिन दिन होत सवायो
मीराबाई
शबद
आरती व भोग - मन बच क्रम मोरे राम कि सेवा सकल लोक देवन को देव
मन बच क्रम मोरे राम कि सेवा सकल लोक देवन को देवाबिनु जल जल भरि भरि नहवावों बिना धूप के धूप धुपावों
धरनीदास जी
गूजरी सूफ़ी काव्य
उक़्दा दर-पर्द: रामकली
वाली तपती हूँ तेरे कारने टुक दर्शन तेरा मुख दिखलाओबार एक गली हमारे आओ