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दोहा
रहिमन राम न उर धरै रहत बिषय लपटाय
रहिमन राम न उर धरै रहत बिषय लपटायपसु खर खात सवाद सों गुर गुलियाए खाय
रहीम
दोहरा
निहचल राखौ आप स्यों धरि के निहचल लोइ
निहचल राखौ आप स्यों धरि के निहचल लोइफेटे सबहि पिसाइ के कांजी क्यूँ कर होइ
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
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कलाम
स्वामी रामतीर्थ
पद
नाम-माहात्म्य के पद - राम नाम रस पीजै मनुआँ, राम नाम रस पीजै
'मीराँ के प्रभू गिरिधर नागर ताहि के रंग में भीजे
मीराबाई
शबद
राम नाम भजि लीजै भाई
तजि कर्म सकल भजु दृढ़ मत धरि मरिये भा जीजै मन लाईअगम पंथ को चलना है मन छाँड़ि दीजै अलसाई
भीखा साहेब
दोहा
रहिमन अँसुआ नैन ढरि जिय दुख प्रगट करेइ
रहिमन अँसुआ नैन ढरि जिय दुख प्रगट करेइजाहि निकारो गेह ते कस न भेद कहि देइ
रहीम
शबद
उपदेश का अंग - तैं राम राम भजु राम रे राम गरीब निवाज हो
घर बन निसु दिन राम जी भक्तन के रखवारदुखिया 'दूलनदास' को रे राम लगइहैं पार हो
दूलनदास जी
दोहा
अर्ध उर्ध मधि सुरति धरि जपै जु अजपा जाप
अर्ध उर्ध मधि सुरति धरि जपै जु अजपा जाप'दया' लहै निज धाम कूँ छुटै सकल संताप
दया बाई
पद
नाम-माहात्म्य के पद - मेरो मन राम हि राम रटे रे
जनम जनम के खत जु पुराने नामहि लेत फटै रेकनक कटोरे इमरत भरियो पीवत कौन रटे रे
मीराबाई
शबद
आरती व भोग - मन बच क्रम मोरे राम कि सेवा सकल लोक देवन को देव
मन बच क्रम मोरे राम कि सेवा सकल लोक देवन को देवाबिनु जल जल भरि भरि नहवावों बिना धूप के धूप धुपावों
धरनीदास जी
कुंडलिया
जो मैं हारौं राम की जो जीतों तौ राम
जो मैं हारौं राम की जो जीतों तौ रामजो जीतों तौ राम राम से तन मन लावौं