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दोहा
सतवादी सब सन्त हैं आप आपने धाम
सतवादी सब सन्त हैं आप आपने धामआजिज़ की अरदास है सकल सन्त परनाम
गरीब दास
सोरठा
अखरावती - सतगुरु खोजो संत जीव काज जेहि होय जो
सतगुरु खोजो संत जीव काज जेहि होय जोमेटैं भव का अंत आवागवन निवारहीं
कबीर
पद
धन्य भूमि वो सन्त विराजे नगर डीडपुर शोभा राजे
वेर वेर दर्शन वलिहारी सन्त शिरोमणि मंडली भारदर्शन सेती सब दुख नासै गूदड़िया सन्त उधारणी
भाऊदास जी
अरिल्ल
संत मता है सार और सब जाल पसारा
संत बिना नहिं घाट बाट एको नहिँ पावैअरे हाँ रे 'तुलसी' भटकि भटकि भ्रमखान संत बिन भव में आवै
तुलसी साहिब हाथरस वाले
साखी
गुप्त रूप जहां धारिया, राधास्वामी नाम।
गुप्त रूप जहां धारिया, राधास्वामी नाम।बिना मेहर नहिं पावई, जहां कोई बिसराम।।
शिवदयाल सिंह
साखी
बैठक स्वामी अद्भुती, राधा निरख निहार।
बैठक स्वामी अद्भुती, राधा निरख निहार।और न कोई लख सके, शोभा अगम अपार।।
शिवदयाल सिंह
साखी
संत दिवाली नित करें, सत्तलोक के माहिं।
संत दिवाली नित करें, सत्तलोक के माहिं।और मते सब काल के, योंही धूल उड़ाहिं।।
शिवदयाल सिंह
साखी
मोटे जब लग जायं नहिं, झीने कैसे जाय।
मोटे जब लग जायं नहिं, झीने कैसे जाय।ताते सबको चाहिये, नित गुरु भक्ति कमाय।।
शिवदयाल सिंह
साखी
मोटे बन्धन जगत के, गुरु भक्ति से काट।
मोटे बन्धन जगत के, गुरु भक्ति से काट।झीने बन्धन चित्त के, कटें नाम परताप।।
शिवदयाल सिंह
पद
चेतावनी -घट भीतर तू जाग री, है सुरत पुरानी ।
घट भीतर तू जाग री, है सुरत पुरानी ।बिना देश झांकत रही, सब मर्म भुलानी।।