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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ मुनव्वर अज़ जमालत दीदः-ए-जानम चुँ शम'अज़ दर-ए-बख़्तम दर आ ता जाँ बर अफ़शानम चु शम'
रूमी
ग़ज़ल
ऐ 'अक्स-ए-जमाल-ए-लम-यज़ली ऐ शम-ए'-तजल्ला क्या कहनाऐ नूर-ए-हिजाबात-ए-फ़ितरत ऐ हुस्न-ए-सरापा क्या कहना
मंज़ूर आरफ़ी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
मी-ख़्वास्तम कि रोज़ः-गुशाएम नमाज़-ए-शामसर बर ज़द आफ़्ताब-ए-जहाँ-सोज़-ए-मन ज़े-बाम
अमीर ख़ुसरौ
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सावन
सावन की बूँदें गिरें जब छन छन छाए जिया पे ख़ुमार रेऐसे मिलन पर मैं वारी पियरवा तन-मन मोरा निसार रे
ज़िया अलवी
कलाम
बह्ज़ाद लखनवी
बैत
मेरी मे'राज-ए-सुख़न ज़िक्र तेरा शाम-ओ-सहर
मेरी मे'राज-ए-सुख़न ज़िक्र तेरा शाम-ओ-सहरमेरी हस्ती की बक़ा तुझ में फ़ना हो जाना
मोहम्मद समी
ना'त-ओ-मनक़बत
ऐ सौर की रातों की ज़िया अहमद-ए-मुख़्तारऐ सुब्ह-ए-दरख़्शान-ए-हिरा अहमद-ए-मुख़्तार
सीमाब अकबराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
मन मोहत है जिया छीनत है वो जासे नजरिया मिलावत हैवो काहे कमलिया ओढ़त है जो मोहम्मद नाँव कहावत है