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पद
गुन अजब नामः - भया सुनि धीर मन मोरा सु जीवन जगत मैं थोरा
भया सुनि धीर मन मोरा सु जीवन जगत मैं थोरासखी सुनि अंति जौ मरिये तौ पिय कौं त्यागि क्या करिये
वाजिद जी दादूपंथी
पद
गुन अजब नामः - सखी सुनि पियहि क्यूँ भावै
सखी सुनि पियहि क्यूँ भावै कुल छिन रैंनि दिन लावैजीवत जीव जौ दीजै पियाला पिरम तौ पीजै
वाजिद जी दादूपंथी
राग आधारित पद
राग भैरव चौताल - बानी चारौं के व्यौहार सुनि लीजै हो गुनीजन
बानी चारौं के व्यौहार सुनि लीजै हो गुनीजनतब पावै यह विद्या-सार
तानसेन
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सवैया
प्रेम-वेदना - बागन में मुरली 'रसखान' सुनी सुनिकै जिय रीझ पचैगो
बागन में मुरली 'रसखान' सुनी सुनिकै जिय रीझ पचैगोधीर समीर को नीर भरौ नहि माइ झकै औ बबा सकुचैगो
रसखान
साखी
सेवक और दास का अंग - सब घट मेरा साइयाँ सूनी सेज न कोय
सब घट मेरा साइयाँ सूनी सेज न कोयबलिहारी वा-घट्ट की जा-घट पर-गट होय
कबीर
ग़ज़ल
जब सूँ ज़ाहिद ने सुनी उस रुख़-ए-पुर-नूर की बातभुल गई उस से तेरे शौक़ सूँ तब हूर की बात
क़ादिर बख़्श बेदिल
कलाम
अज़ल में जो सदा मैं ने सुनी थी कैफ़-ए-मस्ती मेंवही आवाज़ अब तक सुन रहा हूँ साज़-ए-हस्ती में
ख़ादिम हसन अजमेरी
ग़ज़ल
कहानी ऐसी कभी सुनी थी ज़रा बताओ तो मुंसिफ़ानाबस और कुछ देर दिल सँभालो तमाम है अब मिरा फ़साना
जाफ़रुन्निसा जमाल
कलाम
सुण फ़रियाद पीराँ दिआ पीरा अरज़ सुणी कन धर के हूबेड़ा अड़या विच कपराँ दे जिथ मच्छ न बैहन्दे डर के हू
सुल्तान बाहू
दोहा
विनय मलिका - टेर सुनी प्रहलाद की नरसिंह हो बनि आय
टेर सुनी प्रहलाद की नरसिंह हो बनि आयहिरनाकुस को मारि कै जन को लीन बचाय
दया बाई
दोहा
सेज सूनी देख के रोऊँ दिन रैन
सेज सूनी देख के रोऊँ दिन रैनपिया पिया कहती फिरूँ पल भर सुख नहि चैन
अमीर ख़ुसरौ
दोहा
हरी हरी करुना करी सुनी जो सब ना टेर
हरी हरी करुना करी सुनी जो सब ना टेरजग डग भरी उतावरी हरी करी की बेर
रहीम
शबद
बिरह और प्रेम का अंग - मितऊ मड़ैया सूनी करि लो
मितऊ मड़ैया सूनी करि लोमितऊ मड़ैया सूनी करि लो