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बैत
अब तलक तुझ पे न इस राज़ का इज़हार किया
अब तलक तुझ पे न इस राज़ का इज़हार कियाजान आती है मेरी जान जो तू आती है
शाह तक़िउद्दिन मनेरी
सूफ़ी उद्धरण
किसी भी चीज़ का उल्लेख न करें जिसे आपने नहीं देखा है, और ऐसी किसी भी चीज़ का उल्लेख न करें जो किसी को दिखाई न दे।
वासिफ़ अली वासिफ़
ग़ज़ल
ख़ून का क़तरः नहीं है चश्म-ए-गिर्यां अब तलकउज़्व सारे जल गए पर दिल है बरियाँ अब तलक