आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "urdu ki sarvashreshth kahaaniyan prakash pandit ebooks"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "urdu ki sarvashreshth kahaaniyan prakash pandit ebooks"
सूफ़ी लेख
क़व्वाली में उर्दू हिन्दी की इब्तिदा
फ़ार्सी-दाँ हल्क़ों में क़व्वाली की मक़्बूलियत के बाद मूजिद-ए-क़व्वाली हज़रत अमीर ख़ुसरौ को एक ऐसा अहम
अकमल हैदराबादी
दोहा
ज्ञानी पंडित यूँ कहें सूर्ज की देखो धूप
ज्ञानी पंडित यूँ कहें सूर्ज की देखो धूपसुंदर त्रिया सुडौल पुत्र नारायण का रूप
औघट शाह वारसी
शे'र
जिसे कहते हैं मौत इक बे-ख़ुदी की नींद है 'शाएक़'परेशानी है जिस का नाम वो है ज़िंदगी अपनी
पंडित शाएक़ वारसी
शबद
सुनहु पंडित सुनहु अचारिज निसब्दैं सबद समाय
सुनहु पंडित सुनहु अचारिज निसब्दैं, सबद समायसबदैं रिद्धि सिद्धि सब्दैं मुख मुकुति सबद अनूतर साय
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
अन्य परिणाम "urdu ki sarvashreshth kahaaniyan prakash pandit ebooks"
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती - डॉक्टर ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
आज जिस मौज़ूअ’ पर दा’वत-ए-फ़िक्र दी गई है वो “अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती का मौज़ूअ’ है
फ़रोग़-ए-उर्दू
दोहा
देखे पंडित साधू जोगी संतः-साध मलंग
देखे पंडित साधू जोगी संतः-साध मलंगप्रेम का भगती एक न पाया 'औघट' चार अलंग
औघट शाह वारसी
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो बुज़ुर्ग और दरवेश की हैसियत से - मौलाना अ’ब्दुल माजिद दरियाबादी
ख़ालिक़-बारी का नाम भी आज के लड़कों ने न सुना होगा। कल के बूढ़ों के दिल
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी तहज़ीब की तश्कील में अमीर ख़ुसरो का हिस्सा - मुनाज़िर आ’शिक़ हरगानवी
जब हम हिन्दुस्तान की तहज़ीब का मुतालिआ’ करते हैं तो देखते हैं कि तरह तरह के
फ़रोग़-ए-उर्दू
ग़ज़ल
किसी को क्या बताऊँ क्यूँ मिटा दी ज़िंदगी अपनीबक़ा ऐ'न-ए-बक़ा ज़ौक़-ए-फ़ना में देख ली अपनी
पंडित शाएक़ वारसी
शबद
मरिहौ पंडित मरनौ मीठा जौ मरना श्री गोरख धीठा
मरिहौ पंडित मरनौ मीठा जौ मरना श्री गोरख धीठामुए तेंजिउ जाय जहाँ जीवत ही लै रखौ तहाँ
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
दोहरा
रब्ब रब्ब करदे बुड्ढे हो गए मुल्लाँ पंडित सारे
रब्ब रब्ब करदे बुड्ढे हो गए मुल्लाँ पंडित सारेरब्ब दा खोज खुरा ना लभ्भा अते सज्दे कर कर हारे
बुल्ले शाह
क़िता'
हैं कातिब-ए-क़ुदरत की बे-मिस्ल ये तहरीरेंया हुस्न-ए-हक़ीक़त की पुर-कैफ़ हैं तनवीरें
पंडित नायाब वारसी
पद
नवनाथ कहे सो नाथपंथी जुगुत कहे सो जोगी ।
नवनाथ कहे सो नाथपंथी जुगुत कहे सो जोगी ।विश्व बुझे सो कहि बैरागी, ग्यान बुझे सो योगी ।।ध्रु॰।।