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सूफ़ी लेख
शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है ?
अगरचे ब-नुत्क़ तूती-ए-ख़ुश-नफ़सेमबर शकर गुफ़्त:-हा-ए-सा’दी-ए-मगसेम
एजाज़ हुसैन ख़ान
सूफ़ी लेख
लिसानुल-ग़ैब हाफ़िज़ शीराज़ी - मोहम्मद अ’ब्दुलहकीम ख़ान हकीम।
अगरचे बाद: फ़रह-बख़्श-ओ-बाद गुल-बेज़स्तब-बांग-ए-चंग म-ख़ूर मय कि मोह्तसिब तेज़स्त
निज़ाम उल मशायख़
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हिन्दुस्तानी मौसीक़ी और अमीर ख़ुसरौ
अमीर ख़ुसरौ को फ़न्न-ए-मौसीक़ी में एक नायक की हैसियत हासिल थी अगरचे नायक के लक़ब के
उमैर हुसामी
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सय्यिद सालार मस्ऊद ग़ाज़ी
‘‘मिर्आत-ए-मस्ऊ’दी’ के मुताबिक़ पहले आपने अपने एक सरदार हज़रत सालार सैफ़ुद्दीन को इस मुहिम के लिए
जुनैद अहमद नूर
सूफ़ी लेख
शैख़ हुसामुद्दीन मानिकपूरी
क़ौलः रफ़ीक़ुल-आ’रिफ़ीन में आप फ़रमाते हैं कि मुरीदों को अपने मशाएख़ से वही निसबत है जैसे
उमैर हुसामी
सूफ़ी लेख
मसनवी की कहानियाँ -5
जब उस ग़ुलाम की फ़िरासत का इम्तिहान ले चुका तो दूसरे को पास बुलाया। बादशाह ने
सूफ़ीनामा आर्काइव
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अज़ीज़ सफ़ीपुरी और उनकी उर्दू शा’इरी
अज़ीज़ सफ़ीपुरी की ग़ज़लों के मुतालि’ए से ये बात अज़ ख़ुद ज़ेहन पर मुनकशिफ़ होती है
ज़फ़र अंसारी ज़फ़र
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लखनऊ का सफ़रनामा
ख़ैर बात कहाँ चल रही थी और हम कहाँ चले गए। अल-ग़र्ज़ इस ’इमारत का बालाई
रय्यान अबुलउलाई
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समा के आदाब-ओ-मवाने से का इनहराफ़
(2) माने-ए-दोउम : जिस आला को समा’अ के साथ इस्तिमाल किया जा रहा हो वो शराबियों
अकमल हैदराबादी
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ख़वातीन की क़व्वाली से दिलचस्पी और क़व्वाली में आशिक़ाना मज़ामीन की इबतिदा
हज़रत ग़ौस-ए-पाक की नियाज़ के साथ क़व्वाली की घरेलू महफ़िलों ने मुस्लिम ख़्वातीन में बे-हद मक़्बूलियत