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संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
तीनि लोक के ऊपरे, अभय लोक विस्तार।सत्तसुकृत परवाना पावै, पहुँचै जाय करार।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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संत साहित्य
तीनि लोक के ऊपरे, अभय लोक विस्तार। सत्तसुकृत परवाना पावै, पहुँचै जाय करार।।
परशुराम चतुर्वेदी
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बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
अभय मिश्र, तिन बंस मैं परसुराम जिमि राम। तिनकैं सुत कुलपति कियौ रस-रहस्य सुखधाम।।209।।