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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत सय्यदना अमीर अबुल उला
दर सिन्न-ए-अलिफ़ व वाहिद व स्त्तीनशुद मक़ामश मुक़ाम-ए-इल्लीय्यीन
रय्यान अबुलउलाई
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तारीख़-ए-वफ़ात निज़ामी गंजवी
अगर ख़ुद हफ़्त सब्आ अज़ बर ब-ख़्वानीचू अलिफ़ बा ता न-दानी
क़ाज़ी अहमद अख़्तर जूनागढ़ी
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शैख़ हुसामुद्दीन मानिकपूरी
चुनाँ दर इस्म-ए-ऊ कुन जिस्म पिन्हाँकि मी-गर्दद अलिफ़ दर इस्म पिन्हाँ
उमैर हुसामी
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हज़रत ख़्वाजा गेसू दराज़ चिश्ती अक़दार-ए-हयात के तर्जुमान-डॉक्टर सय्यद नक़ी हुसैन जा’फ़री
सौनक इबलीस खिंच खिंच थक्की के या बिस्मिल्लाह अल्ला होअलिफ़ अल्ला उसका दिसता म्याने मुहम्मद होकर बसता
मुनादी
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"हाज़ा हबीबुल्लाहि मा-त-फ़ी हुब्बिल्लाह" का तहक़ीक़ी जाएज़ा
“तारीख़-ए-वफ़ात हज़रत साहिब की ख़्वाजा जी है और हुरूफ़-ए- मल्फ़ूज़ी से वो ही फ़क़्री तारीख़ है
आतिफ़ काज़मी
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत हसन जान अबुल उलाई
हज़रत हसन जान ईरान के एक मुअ’ज़्ज़ज़ ख़ानवादा के चश्म-ओ-चराग़ थे।इरान से मुहाजरत कर के आपका
रय्यान अबुलउलाई
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संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
दादूदयाल के 52 शिष्य कहे जाते हैं जिन में सब से प्रसिद्ध सुंदरदास हुए। सुंदरदास का
हिंदुस्तानी पत्रिका
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संत साहित्य
दादूदयाल के 52 शिष्य कहे जाते हैं जिन में सब से प्रसिद्ध सुंदरदास हुए। सुंदरदास का
परशुराम चतुर्वेदी
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मसनवी की कहानियाँ -4
किसी ग़ैर मुल्क में अहल-ए-हिंद एक हाथी दिखाने लाए और उसे बिलकुल तारीक मकान में बांध