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सूफ़ी लेख
हज़रत ग़ौस ग्वालियरी और योग पर उनकी किताब "बह्र-उल-हयात"
जब कोई ज़िक्र-ए-कुम्भक शुरू करना चाहे तो वह जिस्म के आ’ज़ा पर मौजूद हवा को पूरक
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
उ’र्स-ए-बिहार शरीफ़
हज़रत का वा’ज़जुमआ’ के दिन हज़रत क़िब्ला का जामा’ मस्जिद में स़ूफियाना वा’ज़ था।हज़रत ने अपने
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
बाबा फ़रीद शकर गंज
जब सय्याह अ’स्र के वक़्त जाते हैं और आहिस्ता-आहिस्ता वही सूरज जिसकी तरफ़ आँख भर कर
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
फ़िरदौसी - सय्यद रज़ा क़ासिमी हुसैनाबादी
फ़िरदौसी दूसरे ईरानी शो’रा की तरह ग़ज़लें या आ’शिक़ाना नग़्मे नज़्म करता था। उसकी रगों में
ज़माना
सूफ़ी लेख
ख़वातीन की क़व्वाली से दिलचस्पी और क़व्वाली में आशिक़ाना मज़ामीन की इबतिदा
हज़रत ग़ौस-ए-पाक की नियाज़ के साथ क़व्वाली की घरेलू महफ़िलों ने मुस्लिम ख़्वातीन में बे-हद मक़्बूलियत
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
लखनऊ का सफ़रनामा
हम लोग मर्कज़ी दरवाज़ा से दाख़िल हुए और वसी’-ओ-’अरीज़ बाग़ की सैर करते हुए आसिफ़ी मस्जिद