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सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
उठा बगूला प्रेम का, तिनका उड़ा अकास।तिनका तिनका से मिला, तिन का तिन के पास।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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संत साहित्य
उठा बगूला प्रेम का, तिनका उड़ा अकास। तिनका तिनका से मिला, तिन का तिन के पास।
परशुराम चतुर्वेदी
सूफ़ी लेख
हज़रत महबूब-ए-इलाही ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी के मज़ार-ए-मुक़द्दस पर एक दर्द-मंद दिल की अ’र्ज़ी-अ’ल्लामा इक़बाल
मैं तिरी दरगाह की जानिब जो निकला ले उड़ाआसमाँ तारे बना कर मेरी गर्द-ए-राह के
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
बेदम शाह वारसी और उनका कलाम
मुझे ख़ाक में मिला कर मिरी ख़ाक भी उड़ा देतिरे नाम पर मिटा हूँ मुझे क्या ग़रज़ निशाँ से
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
मिस्टिक लिपिस्टिक और मीरा
क्राशा के भभकते हृदय में ओज है उमंग है रस है राग है। स्वर्गीय थेरेसा की
सूफ़ीनामा आर्काइव
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बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
अब क्या पूछते हो गर्म पकवान आ रहा है, खा रहे हैं झूला झोल रहे हैं।