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सूफ़ी लेख
शाह तुराब अली क़लंदर और उनका काव्य
हाँ हाँ मो-का न छेड़ कन्हैयाहौं तो दिनन की थोड़ी
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
सूर के माखन-चोर- श्री राजेन्द्रसिंह गौड़, एम. ए.
इतना ही नही, बालकृष्ण को पकड़ कर उन्होने धमकाया---- कन्हैया! तू नहि मोहिं डरात।
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
बेदम शाह वारसी और उनका कलाम
देवावासी कृष्ण कन्हैया , वारिस अवध के अवध बिहारीसीस उधर लट घूंघर वाली, काँधे सोहे कमली कारी
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
सूर का वात्सल्य-चित्रण, डॉक्टर सोम शेखर सोम
ऊँचे चढ़ि चढ़ि कहति जसोदा लै-लै नाम कन्हैया।दूरि कहूँ जिनि जाहु लला रे मारैगी काहू की गैया।।
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
क़व्वालों के क़िस्से
भारत-चीन युद्ध के समय जब पूरा देश एकता के सूत्र में बंध गया था,उस नाज़ुक दौर
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
पुरुष आलंबन हुआ और स्त्री आश्रय। जनता के बीच प्रेम के इस स्वरूप ने यहाँ तक
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मिस्टिक लिपिस्टिक और मीरा
कबीर ज्ञानी हैं। उनकी पहुंच और उनकी सीमा की तुलना तथागत के कार्य से भी की