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सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
-चुनरी(96) बाल नचे कपड़े फटे, मोती लिए उतार।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
-चुनरी (96) बाल नचे कपड़े फटे, मोती लिए उतार।
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कबीर दास
नैहरवा में दाग लगाय आई चुनरीऔर रंगरेजवा के मरम न जाने नहिं मिले धोबिया कौन करे उजरी