आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "तन-मन-धन"
सूफ़ी लेख के संबंधित परिणाम "तन-मन-धन"
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
चरनदास परनाम करि तन मन धन वारन दियो।।1।।गंग जमन कैं बीच जहाँ निज डेरा दीन्हाँ।
परिणाम "तन-मन-धन"
चरनदास परनाम करि तन मन धन वारन दियो।।1।।गंग जमन कैं बीच जहाँ निज डेरा दीन्हाँ।