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सूफ़ी लेख
हज़रत महबूब-ए-इलाही ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी के मज़ार-ए-मुक़द्दस पर एक दर्द-मंद दिल की अ’र्ज़ी-अ’ल्लामा इक़बाल
मैं कहीं ख़ाली न फिर जाऊँ तिरी सरकार सेताक मैं बैठी है बिजली मेरे हासिल के लिए
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
अर्थात् चर्ख़ा कातना और सीना-पिरोना न छोड़ना- इसे छोड़ बैठना अच्छी बात नहीं है, क्योंकि यह
माधुरी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मसनवी की कहानियाँ -1
शेर ने कहा ”मैं मुनासिब मौक़ा’ पर करम भी करता हूँ और जो शख़्स जिस जामे
ज़माना
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कर्नाटक के संत बसवेश्वर, श्री मे. राजेश्वरय्या
राजा के पास अपने दूसरे मंत्री सिद्दण्णा की उदारता से दत्तक में ली गयी एक कन्या