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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत हसन जान अबुल उलाई
हमारे सूबा-ए-बिहार में शहसराम को ख़ास दर्जा हासिल है।यहाँ औलिया ओ अस्फ़िया और शाहान ए ज़माना
रय्यान अबुलउलाई
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ख़्वाजा सय्यद नसीरुद्दीन चिराग़ देहलवी
आपकी आबाई हवेलीअयोध्या में आपके ख़ानदान की बहुत हुरमत-ओ-अदब था और आपके वालिद-और दादा जान पश्मीना
सय्यद रिज़्वानुल्लाह वाहिदी
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तज़्किरा हज़रत शाह तसद्दुक़ अ’ली असद
हज़रत अमजद अ’ली ने आपको सियाह लिबास अ’ता किया था, आप हमेशा सियाह लिबास ज़ेब-ए-तन किया
इल्तिफ़ात अमजदी
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बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
इसी तर्तीब से आगे बढ़ा। दरगाह शरीफ़ क़रीब ही है। थोड़ी देर में वहाँ पहुँच गए।