परिणाम "दीवाना-वार"
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मुरीदीन-ओ-मो’तक़िदीन की दुनिया इस अंदोह-नाक ख़बर से सफ़-ए-मातम बिछ गई।लोग दीवाना-वार टूट पड़े और हज़ारों अ’क़ीदत-मंद उस वली-ए-कामिल और महबूब रहनुमा के आख़िरी दीदार के लिए हाज़िर हुए।आपका मद्फ़न सूबा-ए-बिहार के गया ज़िला’ में गया शहर से तक़रीबन तीन मील शिमाल की जानिब बेधू शरीफ़ में साहिल-ए-फलगू नदी पर है जिसको मशरिक़ से निकलते हुए सूरज की पहली किरन मुनव्वर करती है।
जब मुक़र्ररा वक़्त आ जाता है और नमाज़-ए-मग़रिब से ख़ुदा-परस्त लोग फ़ारिग़ हो जाते हैं तो
फ़ुनून-ए-लतीफ़ा को इन्सान की रुहानी आसूदगी का ना-क़ाबिल-ए-फ़रामोश ज़रीया तस्लीम किया गया है, उसी आसूदगी के
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