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सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
नाना नाच नचाय के, नाचे नट के भेष।घट घट अबिनासी बसै, सुनहु तकी तुम सेष।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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कबीर और शेख़ तक़ी सुहरवर्दी
नाना नाच नचाय के, नाचे नट के भेखघट घट अविनाशी अहै, सुनहु तक़ी तुम सेख .
सुमन मिश्र
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संत साहित्य
नाना नाच नचाय के, नाचे नट के भेष। घट घट अबिनासी बसै, सुनहु तकी तुम सेष।।
परशुराम चतुर्वेदी
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आज रंग है !
होली के उत्सव का वर्णन भविष्योत्तर पुराण में आता है जिसका भावानुवाद यूँ है :राजन! शीतकाल
सुमन मिश्र
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प्रणति, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
लोक-जीवन ही सूरसागर की लीलाओं की मुख्य सामग्री है। बिसातिन, दही बेचनेवाली, नट-बाजीगर, मेला, पनघट आदि