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सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
औरहिं चिंता करन दे, तू मति मारे आह।जा के मोदी राम से, ताहि कहा परवाह।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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सूफ़ी क़व्वाली में गागर
नहीं है कौसर-ओ-तसनीम की परवाहहै अपने सर पे बशीर-ओ-नज़ीर की गागर
उमैर हुसामी
सूफ़ी लेख
संत साहित्य
औरहिं चिंता करन दे, तू मति मारे आह। जा के मोदी राम से, ताहि कहा परवाह।।
परशुराम चतुर्वेदी
सूफ़ी लेख
गीता और तसव्वुफ़ - मुंशी मंज़ूरुल-हक़ कलीम
जो आ’रिफ़ ज्ञान योग इ’ल्म-ए-ख़ुद-शनासी पर क़ादिर हो कर फ़े’ल के नतीजा की परवाह नहीं करते,
ज़माना
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महापुरुष ख़्वाजा मुई’नुद्दीन चिश्ती अजमेरी
आल इंडिया रेडियो देहली से ख़्वाजा हसन सानी निज़ामी की हिंदी तक़रीरअगर मैं आप से पूछूँ
ख़्वाजा हसन निज़ामी
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कबीर दास
तू ब्राह्मण मैं काशी का जुलाहा बूझहु मोर गियानाजिस से आप का जुलाहा होना साबित हो
ज़माना
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तसव़्वुफ-ए-इस्लाम - मैकश अकबराबादी
इस्लाम की रू से ऐसा नहीं है कि कुछ चीज़ें बा’ज़ के ऊपर फ़र्ज़ हैं और
मयकश अकबराबादी
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मैकश अकबराबादी
मैकश अकबराबादी ने एक तवील मुद्दत तक अदब-ओ-अदीब दोनों के लिए अपनी उ’म्र का एक बड़ा
शशि टंडन
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शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है ?
कि ज़ुहरा दाशत कि दीबा बुरद ब क़ुस्तुंनतीनइन शे’रों से ज़ाहिर है कि इब्तिदा अख़्लाक़-ओ-तवाज़ो ’
एजाज़ हुसैन ख़ान
सूफ़ी लेख
आगरा में ख़ानदान-ए-क़ादरिया के अ’ज़ीम सूफ़ी बुज़ुर्ग
एक दिन हज़रत सय्यिद अपने हुज्रा-ए-ख़ास में तशरीफ़ फ़रमा थे और आपका ख़ादिम आपके दर्वाज़े पर