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सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
एरी सखी मैं तुझ से पूछूं हवा लगे मरजावे।।-पसीना
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
एरी सखी मैं तुझ से पूछूं हवा लगे मरजावे।। -पसीना
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
और बै’अत नहीं ली, बल्कि ए’ज़ाज़ और इकराम से रुख़्सत कर दिया।जब सुल्तानुल-मशाइख़ की हिदायत के
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हज़रत गेसू दराज़ हयात और ता’लीमात
हज़रत गेसू दराज़ का मिज़ाज गर्म था। गर्मी के मौसम में शिकंजी (नींबू का शर्बत)पिया करते
निसार अहमद फ़ारूक़ी
सूफ़ी लेख
मिस्टिक लिपिस्टिक और मीरा
डन में गूढ़भाव हैं। उथल पुथल बरसाती बाढ़। न हेमन्त न बसन्त। दृष्टि पैनी है गहरी