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सूफ़ी लेख
फ़ारसी लिपि में हिंदी पुस्तकें- श्रीयुत भगवतदयाल वर्मा, एम. ए.
तिन साहन के नाँव की, अब कवि करे बखान।।(सुंदर सिंगार से)
हिंदुस्तानी पत्रिका
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कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
तूं मोरी जजमांन सांवरी तू मोरी जजमान ब्रह्मादिक सब तेरेई अनुचर तेरोई करत बखान
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
जायसी का जीवन-वृत्त- श्री चंद्रबली पांडेय एम. ए., काशी
कीन्ह बखानू का संबंधपंडित सुधाकर द्विवेदी का मत है “तहाँ आइ कवि कीन्ह बखानू” से स्पष्ट
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई की प्रतापचंद्रिका टीका - पुरोहित श्री हरिनारायण शर्म्मा, बी. ए.
वहै सदा पशु नरन कौं, प्रेम पयोधि पगार।।11।।टीका- कह्यों रसिक बूड़न कठिन तरिवो सिंधु सरूप। सुगम
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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कबीर द्वारा प्रयुक्त कुछ गूढ़ तथा अप्रचलित शब्द पारसनाथ तिवारी
(4) पांनपद 53.7 जोलहै तनि बुनि पांन न पावल। फारि बिनै दस ठांई हो। कबीर में
हिंदुस्तानी पत्रिका
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मिस्टिक लिपिस्टिक और मीरा
सुन्दरकांड में सुन्दर है सीता का चरित्र सुन्दर है हनुमान की महावीरता सुन्दर है लंका का