आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बावरे"
सूफ़ी लेख के संबंधित परिणाम "बावरे"
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
दोहा:सुन रे पपीहे बावरे बानी पे आये न कूक
ज़माना
सूफ़ी लेख
हज़रत गेसू दराज़ का मस्लक-ए-इ’श्क़-ओ-मोहब्बत - तय्यब अंसारी
चुप रह निजी बावरे छुपा खोल सत भेददेख पिया को हर जगह गर है तुझको दीद
मुनादी
सूफ़ी लेख
कबीर के कुछ अप्रकाशित पद ओमप्रकाश सक्सेना
को लूटे धन जोबन बावरे, को लूटे सुन्दर नारी।। राम परम पद कोउ न लूटे, कबीर भीखारी जप रे राम परम पद।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
पदमावत के कुछ विशेष स्थल- श्री वासुदेवशरण
जुगसारि=दो गोटें, जिन्हें केवल जुग भी कहते हैं। ये एक घर में बैठतीं, एक साथ उठतीं