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सूफ़ी लेख
मसनवी की कहानियाँ -1
उसने कहा ऐ मेरे बुज़र्ग़ो ! ये महज़ ख़ुदा की ताईद थी वर्ना ख़रगोश की क्या
ज़माना
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत मख़दूम अहमद चर्म-पोश
यहीं से आपका रूहानी जलाल इस क़दर नुमायाँ हुआ कि लोग आपको "तेग़-ए-बरहना" या'नी नंगी तलवार