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हज़रत मख़्दूमा बीबी कमाल, काको
बिहार में मुसलमानों की आमद से पहले काको में हिन्दू आबादी थी, यहाँ कोई राजा या
रय्यान अबुलउलाई
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शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
अक्सर अहल-ए-कमाल ऐसे होते हैं जिनमें चंद कमालात मुज्तमा’ हो जाते हैं मगर बा’ज़ कमाल इस
मयकश अकबराबादी
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शैख़ सलीम चिश्ती
लेकिन जब पाकपत्तन शरीफ़ हाज़िर हुआ तो दीवान साहिब ने फ़रमाया कि तुम्हारा मतलब बिरादरम शैख़
ख़्वाजा हसन निज़ामी
सूफ़ी लेख
क़ुतुबल अक़ताब दीवान मुहम्मद रशीद उ’स्मानी जौनपूरी
उस ज़माना में निस्फ़ शब के बाद पुल का दरवाज़ा बंद हो जाता था और शैख़