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सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
मय-कशी के फ़न में भी ‘मय-कश’ ना तू कामिल हुआमय-कदे में आके नाहक़ भीड़ मेरे यार की
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह बर्कतुल्लाह ‘पेमी’ और उनका पेम प्रकाश
मय-कदे का पीर मुझ से अज़ राह-ए-शफ़क़त कह रहा था किशराबनोशी कर कि राज़-ए-पिन्हाँ अब आश्कार हो जाएगा