आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "मुसलसल"
सूफ़ी लेख के संबंधित परिणाम "मुसलसल"
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो की सूफ़ियाना शाइ’री - डॉक्टर सफ़्दर अ’ली बेग
जो इन्सान अपने आपको नहीं समझ सकता वो अपने पैदा करने वाले को कहाँ जान सकता
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बुर्हानुद्दीन ग़रीब
वफ़ात से पहले तीन साल तक मुसलसल अ’लील रहे, लेकिन अ’लालत के ज़माने में भी रुश्द-ओ-हिदायत
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हज़रत ग़ौस ग्वालियरी और योग पर उनकी किताब बह्र उल हयात
अगर सालिक अपने बातिन को साफ़ रखने का तालिब हो तो वह जोगियों के अ’मल गोरखी
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
दानापुर - सूफ़ियों का मस्कन
इन्सान जिससे मोहब्बत करता है फ़ितरी तौर पर उसका ज़िक्र ज़्यादा करता है।वो चाहता है कि
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
समकालीन खाद्य संकट और ख़ानक़ाही रिवायात
मुझे ये लंबी तम्हीद इसलिए बाँधनी पड़ी ताकि भूक और ख़ुराक की क़िल्लत जैसे आ’लमी बोहरान
रहबर मिस्बाही
सूफ़ी लेख
बाबा फ़रीद के श्लोक- महमूद नियाज़ी
शैख़ इब्राहीम का लक़ब ‘फ़रीद’ सानी था न कि नाम। इसलिए उनका कलाम जहाँ भी नक़ल
मुनादी
सूफ़ी लेख
Malangs of India
दीवानगान सिलसिला कभी हिंदुस्तान के सबसे अमीर सिलसिलों में शुमार होता था. इस सिलसिले के पास
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ अबुल हसन अ’ली हुज्वेरी रहमतुल्लाह अ’लैहि
हज़रत शैख़ हुज्वेरी रहमतुल्लाह अ’लैह की राय में अस्ली नमाज़ ये है कि जिस्म आ’लम-ए-नासूत में
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
क़व्वाली और गणपति
गणपति महाराष्ट्र का एक ऐसा त्यौहार है जिसे यहाँ के हिंदू बाशिंदे हर साल चौथी चतुर्थी
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया-अपने पीर-ओ-मुर्शिद की बारगाह में
मज़्कूरा बाला अश्आ’र के बारे में हज़रत अनस बिन मालिक रज़ि-अल्लाहु अ’न्हु की रिवायत है “रसूलुल्लाह
निसार अहमद फ़ारूक़ी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली का माज़ी और मुस्तक़बिल
वाइ’ज़ के बा’द का दौर नई तरक़्क़ी-पसंद शाइ’री, फ़िल्म और जासूसी नाविल का दौर था।इसलिए इन
मुनादी
सूफ़ी लेख
हज़रत सय्यिद मेहर अ’ली शाह - डॉक्टर सय्यिद नसीम बुख़ारी
ग़ुलाम फ़रीद उसी वक़्त गोलड़ा के लिए आ’ज़िम-ए-सफ़र हुए। जब गोलड़ा पहुंचे तो उन्होंने शाह साहिब
मुनादी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली के बैरूनी प्रोग्राम
हिन्दोस्तान की ईजाद-कर्दा क़व्वाली आज सारी दुनिया को गिरवीदा किए हुए है। यहाँ के फ़नकारों की