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सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
साफ़ सूफ़ कर आगे राखे, जामें नाहीं तूमल। औरों के जहाँ सींक समाए, चम्मू के वाँ मूसल।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(285) साफ़ सूफ़ कर आगे राखे, जामें नाहीं तूमल।औरों के जहाँ सींक समाए, चम्मू के वाँ मूसल।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की तीसरी क़िस्त
इन सब वाक्यों का तात्पर्य यही है कि यद्यपि चरम तत्व अत्यन्त दुर्लक्ष्य है तथापि आंशिक
सूफ़ीनामा आर्काइव
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मिस्टिक लिपिस्टिक और मीरा
3.व्यक्तित्व। यदि किसी के यह रोम रोम में है पंक्ति पंक्ति में तो मीरा के। यही