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सूफ़ी लेख
Jamaali – The second Khusrau of Delhi (जमाली – दिल्ली का दूसरा ख़ुसरो)
कुल्लियात-ए-जामीमसनवी मेहर-ओ-माह
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
(5)न-मांद क़ाइ’द:-ए-मेहर-ए-कोहकन ब-जहाँ
ज़माना
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चन्दायन - डॉ. विश्वनाथ प्रसाद
गोवर नगर हमार पुर ठाऊँ।। सहदेव मेहर की चाँदा धिया।
भारतीय साहित्य पत्रिका
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पीर नसीरुद्दीन ‘नसीर’
कित्थे मेहर अली कित्थे तेरी सनागुस्ताख़ अँखियाँ कित्थे जा लड़ियाँ
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
तुलसीदासजी की सुकुमार सूक्तियाँ- राजबहादुर लमगोड़ा
वो पर्तवे-खुर से पुरज़िया चाँद।यो सायए-मह से मेहर था माँद।
माधुरी पत्रिका
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह मोहसिन दानापुरी
ख़ुम-ओ-ख़ुम-ख़ानः बा-मेहर-ओ-निशाँ अस्तहनूज़ आँ अब्र-ए-रहमत दुर्र-फ़शां अस्त
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
मेहर-ए-बुताँ की बाक़ी है कुछ-कुछ मगर उलंगदरिया-ए-दिल से उठती है मौज-ए-उलूहियत