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सूफ़ी लेख
क़व्वालों के क़िस्से
आज समझले कल ये मौका हाथ न तेरे आयेगाओ गफ़लत की नींद में सोनेवाले धोखा खायेगा
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
पदमावत के कुछ विशेष स्थल- श्री वासुदेवशरण
जुगसारि=दो गोटें, जिन्हें केवल जुग भी कहते हैं। ये एक घर में बैठतीं, एक साथ उठतीं
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
आचार्य्यों ने अप्रतीत्व दोष के अंतर्गत इस बात का संकेत किया है। सूर भी एक ही
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मधुमालती नामक दो अन्य रचनाएँ - श्रीयुत अगरचंद्र नाहटा
मधु के पिता ने शुभ मुहूर्त में उसे नंद नामक पुरोहित के पास पठनार्थ भेजा। राजा
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
तुलसीदासजी की सुकुमार सूक्तियाँ- राजबहादुर लमगोड़ा
(4) सच्चे प्रेम को अपने संबंधइयों से छिपाने की ज़रूरत नहीं, और न वह एक शुद्ध
माधुरी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूर की सामाजिक सोच, डॉक्टर रमेश चन्द्र सिंह
पहला आख्यान श्रीधर ब्राह्मण का है। पूतना का वध हो चुका था। कंस दुश्चिन्ता में पड़ा